कैसे दिलवा पायेंगे पटना को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा, छात्र नेताओं के वादे के पीछे क्या है वजह?
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कैसे दिलवा पायेंगे पटना को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा, छात्र नेताओं के वादे के पीछे क्या है वजह?

पटना यूनिवर्सिटी का छात्र संघ चुनाव 19 को है. इस दौरान सबसे ज्यादा जिस मुद्दे की चर्चा हो रही है, वो पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाने की है.

कैसे दिलवा पायेंगे पटना को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा, छात्र नेताओं के वादे के पीछे क्या है वजह?

पटना: पटना यूनिवर्सिटी का छात्र संघ चुनाव 19 को है. इस दौरान सबसे ज्यादा जिस मुद्दे की चर्चा हो रही है, वो पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाने की है. छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए खड़े ज्यादातर उम्मीदवारों ने पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाने की कोशिश की बात कही है, लेकिन भाजपा समर्थित छात्र संगठन एबीवीपी इस मुद्दे पर मौन है. आखिर क्या है पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलवाने के पीछे की वजह?

1917 में हुई पटना विश्वविद्यालय की स्थापना 
पूर्व का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले पटना विश्वविद्यालय की स्थापना 1917 में हुई थी, तब ये देश के सातवें विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित हुआ था, लेकिन इसको केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की मांग ने 2017 में उस समय जोर पकड़ा, जब यूनिवर्सिटी के 100 साल के समारोह में शामिल होने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी पटना आये थे. समारोह के दौरान ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने की मांग की थी, जिसे पीएम नरेंद्र मोदी ने ये कहते हुए खारिज कर दिया था कि पटना यूनिवर्सिटी को हम उससे भी आगे ले जाना चाहते हैं. जिस समय सीएम नीतीश कुमार ने ये मांग की थी, वो महागठबंधन के साथ मिलकर राज्य में सरकार चला रहे थे. 

केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने की मांग अक्सर उठी
पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने की मांग समय-समय पर उठती रही है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और पाटलिपुत्र के सांसद रामकृपाल यादव भी संसद में इससे जुड़ा सवाल उठा चुके हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2019 में तत्कालीन उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के पटना यूनिवर्सिटी में आने पर अपना दर्द बयान किया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना था कि अगर केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की हमारी मांग को मान लिया गया होता, तो पटना विश्वविद्यालय की एशिया स्तर के विश्वविद्यालयों में शामिल हो जाता. अगर बिहार में सेंट्रल यूनिवर्सिटी की बात करें, तो तीन सेंट्रल यूनिवर्सिटी यहां पर हैं. पूसा कृषि विश्वविद्यालय को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला है, तो मोतिहारी और गया में नयी सेंट्रल यूनिवर्सिटी खुली है, जिनके कैंपस बनाने की प्रक्रिया में हैं. 

फिर उठा सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने का मुद्दा
पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिले, ये मांग 50 साल से ज्यादा पुरानी है यानी 1970 से ही इसे सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा देने की मांग उठने लगी थी. इसको लेकर यूनिवर्सिटी की ओर से प्रस्ताव पारित करके केंद्र सरकार को भेजा गया था, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया, लेकिन इसके बाद भी मांग कमजोर नहीं हुई है. 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी पटना को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने का मुद्दा गूंजा था. अब कोरोना काल के बाद जब विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव हो रहे हैं, तो छात्र संघ चुनाव की रेस में शामिल छात्र प्रतिनिधियों ने फिर से इस मुद्दे को उठाया है. जाप के दीपांकर और राजद के साकेत कुमार इस मुद्दे को लेकर मुखर हैं. 

पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग इसलिए हो रही है, ताकि यहां पढ़ने वाले छात्रों को रिझाया जा सके, क्योंकि छात्र भी चाहते हैं कि पटना को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिले. यही वजह है कि प्रत्याशी इसको लेकर मुखर दिख रहे हैं, लेकिन वो अपनी हद जानते हैं, इसलिए पटना को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने की कोशिश शब्द का प्रयोग कर रहे हैं. हालांकि छात्रों की ओर से अगर इस मुद्दे को लेकर जोरदार आवाज उठायी गयी, तो स्थितियां बदल सकती हैं, क्योंकि पटना विश्वविद्यालय ही वो है, जहां से संपूर्ण क्रांति कि चिंगारी ने बड़ा रूप लिया था, उस समय इसका नेतृत्व जय प्रकाश नारायण ने किया था. 

सुविधाओं और पठन-पाठन में गुणात्मक सुधार होगा
अगर पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिलता है, तो वहां की सुविधाओं और पठन-पाठन में गुणात्मक सुधार होगा, क्योंकि तब सीधे तौर पर केंद्र सरकार की ओर से इसे संचालित किया जायेगा. यहां का इंफ्रास्ट्रचर से लेकर अन्य सभी चीजों की व्यवस्था केंद्र सरकार की ओर से की जायेगी. लगभग छह साल पहले समस्तीपुर की पूसा यूनिवर्सिटी को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिला था, जिसके बाद से यूनिवर्सिटी के इंफ्रास्ट्रचर से लेकर पठन-पाठन सबसे व्यापक सुधार आया है. 

अगर पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाना है, तो पूर्ववर्ती छात्रों को दलगत राजनीति से अलग होकर साथ आना होगा, तभी उसकी आवाज और बुलंद होगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो इसकी मांग कर चुके हैं, अगर पटना विश्वविद्यालय के छात्र रहे जेपी नड्डा, जो भाजपा अध्यक्ष हैं. सुशील कुमार मोदी, जो पूर्व उप मुख्यमंत्री और रविशंकर प्रसाद, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं, जैसे नेता करने लगेंगे, तो इस आवाज को और बल मिलेगा. ये कह सकते हैं कि इससे पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने का भी रास्ता साफ हो सकता है, क्योंकि ये मुद्दा विशेष राज्य के दर्जे जैसा नहीं है. इसको केंद्र सरकार की ओर से माना जा सकता है.

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