Baran News: बारां के आदिवासी क्षेत्र शाहाबाद में कहने को तो सरकार ने दर्जनों योजना चल रही हैं, साथ ही दर्जन एनजीओ चल रहे हैं. हर माह कुपोषण मिटाने के लिए लाखो करोड़ों खर्च किए जा रहे है. लेकिन...
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Baran News: बारां के आदिवासी क्षेत्र शाहाबाद में कहने को तो सरकार ने दर्जनों योजना चल रही हैं, साथ ही दर्जन एनजीओ चल रहे हैं. हर माह कुपोषण मिटाने के लिए लाखो करोड़ों खर्च किए जा रहे है. कहने को तो बच्चों को पोषाहार मिले, इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्र हैं. सरकार की करोडों रुपए की कल्याणकारी योजना आदिवासियों के स्वास्थ्य और पोषण को लेकर चलाई जा रही है, लेकिन धरातल पर कहीं इसका लाभ मिलता नहीं दिख रहा.
आदिवासी क्षेत्र शाहाबाद के देवरी क्षेत्र में कुल 30 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है. वहीं 4 मिनी केंद्र भी हैं. चौराखाड़ी गांव में यहां पर चार बच्चे कुपोषित हैं. इनमें एक अतिकुपोषित ओर तीन बच्चे कुपोषित बताया जा रहा है. चौराखाड़ी गांव की सहरिया कॉलोनी में इन चार बच्चों के घर जाकर बच्चे ओर परिजनों से बात की गई.
कुपोषित बच्ची के पिता शिवाजी ने बताया कि उसकी पुत्री अंशिका को बहुत जल्द बुखार आ जाता है. भूख कम लगती है। वो काफी कमजोर है. हम लोग इसके बीमार होने पर देवरी जाकर इलाज कराते हैं. घनश्याम सहरिया ने बताया उसकी पुत्री सोमवती भी ज्यादातर बीमार ही बीमार रहती है. जुखाम खांसी तो हमेशा ही लगा रहता है.
वह भोजन भी कम मात्रा में खाती है. रुस्तम सहरिया ने बताया कि उसका पुत्र हिंद नानी के यहां रहता है. उसके पिता दिल्ली मजदूरी करने गए हैं. वह भी कमजोर है और अक्सर बीमार रहता है. अरुण पुत्र घनश्याम सहरिया भी कमजोर है, ये भी अधिकतर बीमार रहता है. चारों बच्चे कुपोषित का दंश झेल रहे हैं. इनकी सभी की उम्र लगभग एक से डेढ़ वर्ष के बीच है.