नई दिल्लीः सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा ऐसी समस्या है जिससे अलग-अलग सरकारें जूझती हैं. हालांकि वे इन्हें कब्जामुक्त करने के लिए कदम उठाती रहती हैं लेकिन अभी भी काफी भूमि अतिक्रमण के दायरे में है. इसी तरह देश भर में करीब 18 लाख एकड़ रक्षा भूमि में से करीब 10,249 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण हुआ है. राज्यसभा में इस संबंध में पूछे गए सवाल का लिखित जवाब रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने दिया.
मंत्री से पूछा गया था ये सवाल
मंत्री से देश में रक्षा भूमि पर अतिक्रमण को लेकर सवाल किया गया था. मंत्री ने अपने उत्तर में कहा, 'देश भर में करीब 18 लाख एकड़ रक्षा भूमि में से करीब 10,249 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण है.' उन्होंने रक्षा भूमि पर अतिक्रमण का राज्यवार विवरण भी साझा किया.
एक अन्य प्रश्न में सरकार से पूछा गया था कि क्या उसे इस तथ्य की जानकारी है कि रक्षा भूमि निजी और अन्य संस्थाओं को पट्टे पर दिए गए हैं या उन पर अतिक्रमण है.
छावनी में दिए गए हैं रक्षा भूमि के पट्टे
सेठ ने कहा कि छावनी के भीतर रक्षा भूमि के पट्टे ऐतिहासिक रूप से 1899 और 1912 की छावनी संहिताओं के तहत विभिन्न उद्देश्यों के लिए लोगों, संस्थानों और सरकारी निकायों को दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि इसके अलावा छावनी भूमि प्रशासन नियम 1925 और 1937 के तहत भूमि दी गई.
कब तक के लिए दिए गए थे ये पट्टे
उन्होंने अपने जवाब में कहा, 'ये पट्टे आम तौर पर या तो हमेशा के लिए या कुल 90 साल की पट्टा अवधि के लिए दिए गए थे.' मंत्री ने कहा कि इस संबंध में आगे के कदम के लिए मंत्रालय ने 10 मार्च 2017 को एक अंतरिम नीति जारी की थी, जिसे 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ा दिया गया है.
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