Jaipur News: माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व है, इस दिन तीर्थ स्नान, दान और जप का अद्भुत संयोग बनता है. प्रयागराज महाकुंभ में शाही अमृत स्नान होगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगाजल का स्पर्श भी मोक्षदायक होता है. इस दिन पुण्यकर्म से चंद्र दोषों से मुक्ति मिलती है.
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Rajasthan News: सनातन धर्म में माघ पूर्णिमा का खास महत्व है. इस वर्ष माघ पूर्णिमा मंगलवार शाम 6:55 बजे से प्रारंभ होकर बुधवार शाम 7:22 बजे तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार माघ महीने की पूर्णिमा बुधवार को मनाई जाएगी. इस दिन को तीर्थ स्नान-दान का महापर्व कहा गया है. इस बार प्रयागराज में चल रहे महाकुभ में माघी पूर्णिमा के दिन शाही अमृत स्नान किया जाएगा. वहीं, गंगा-यमुना सहित स्थानीय तीर्थ स्थलों पर स्नान-दान किए जाएंगे.
माघ पूर्णिमा पर सौभाग्य, शोभन, शिववास योग, गजकेसरी योग त्रिग्रही योग बनेंगे. सौभाग्य, शोभन सयोग में अन्य योग संयोगों में माघी पूर्णिमा पर कल स्नान, दान, जप और तप के साथ ही ठाकुर जी के मंदिरों में देवदर्शनों के लिए सुबह से भक्तों का तांता नजर आएगा. शहर आराध्य गोविंद देव जी मंदिर में ठाकुर जी को धवल पोशाक धारण करवाकर सफेद व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा. आनंदकृष्ण बिहारी मंदिर में पं.मातृप्रसाद शर्मा के सान्निध्य में भगवान का विशेष श्रृंगार किया जाएगा. लाडली जी मंदिर, राधादामोदर जी, इस्कॉन मंदिर, अक्षयपात्र मंदिर सहित अन्य मंदिरों में भी विशेष झांकियां सजेगी. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक इस दिन माघ मास का कल्पवास भी समाप्त होगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघ मास में देवता पृथ्वी लोक पर निवास करते हैं.
कल्पवास में श्रद्धालु गंगा, संगम आदि पवित्र नदियों के तट पर एक मास निवास कर आस्था की डुबकी लगाकर दान-पुण्य करते हैं. इस दिन को मोक्ष प्राप्ति का दिन भी कहा गया है. प्रयागराज महाकुंभ में शहर सहित राजस्थान से बडी संख्या में भक्त आस्था की डुबकी लगाएंगे. 144 साल बाद विशेष योग संयोग पूर्णिमा पर रहेगा. इसके साथ ही शहर के संत महंतों का कल्पवास भी पूरा होगा. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार माघी पूर्णिमा पर भगवान नारायण स्वयं गंगाजल में विराजमान रहते हैं. इसीलिए इस दिन गंगाजल के स्पर्श करने से भी स्वर्ग का मार्ग खुल जाता है. माघ पूर्णिमा के दिन गंगा में स्नान करने से मनुष्य के समस्त पाप और संताप मिटते हैं. इस दिन को पुण्य योग भी कहा जाता है.
मत्स्य पुराण के अनुसार माघ मास की पूर्णिमा में ब्राह्मण को दान करने से ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है. इस दिन यज्ञ, तप और दान करने का विशेष महत्व होता है. तिल, ऊनी वस्त्र, अन्न, घी, दुग्ध निर्मित वस्तु, गुड़ आदि का दान करना पुण्यदायक होता है. इसी दिन रात को कुंभ संक्रांति रहेगी. इससे दान पुण्य का फल कई गुना अधिक रहेगा. ज्योतिषाचार्य पं.पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि इस दिन चंद्रा भी अपनी सोलह कलाओं से शोभायमान होते हैं. पूर्ण चंद्रमा अमृत वर्षा करते हैं. इसका अंश वृक्षों, नदियों, जलाशयों और वनस्पतियों पर पड़ता है. इसीलिए इनमें आरोग्य दायक गुण उत्पन्न होते हैं.
माघ पूर्णिमा में स्नान-दान करने से सूर्य और चंद्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है. इस दिन से द्वापर युग की शुरुआत भी हुई थी. जो भगवान कृष्ण का युग माना जाता है. इस दिन दान पुण्य का काफी महत्व है. यदि तीर्थ स्थल पर स्नान कर पाना संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान कर लेना चाहिए.
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