Azerbaijan: इस देश ने मुस्लिम दुनिया में कायम की भाईचारे की मिसाल.. पाकिस्तान को लेनी चाहिए सीख, इजरायल भी हुआ मुरीद
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Azerbaijan: इस देश ने मुस्लिम दुनिया में कायम की भाईचारे की मिसाल.. पाकिस्तान को लेनी चाहिए सीख, इजरायल भी हुआ मुरीद

Azerbaijan Education: अजरबैजान ने अपने स्कूली पाठ्यक्रम में यहूदी-विरोध (एंटीसेमेटिज्म) को शामिल करने का फैसला किया है. इस फैसले के साथ वह पहला मुस्लिम-बहुल देश बन गया है जो यहूदियों के प्रति सहिष्णुता को स्कूल स्तर पर सिखाने जा रहा है.

Azerbaijan: इस देश ने मुस्लिम दुनिया में कायम की भाईचारे की मिसाल.. पाकिस्तान को लेनी चाहिए सीख, इजरायल भी हुआ मुरीद

Azerbaijan Education: अजरबैजान ने अपने स्कूली पाठ्यक्रम में यहूदी-विरोध (एंटीसेमेटिज्म) को शामिल करने का फैसला किया है. इस फैसले के साथ वह पहला मुस्लिम-बहुल देश बन गया है जो यहूदियों के प्रति सहिष्णुता को स्कूल स्तर पर सिखाने जा रहा है. यह कदम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति और सांस्कृतिक सद्भावना को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है. अजरबैजान के इस फैसले से पाकिस्तान को भी भाईचारे की सीख लेनी चाहिए.

रिपोर्ट से हुआ खुलासा

शांति और सांस्कृतिक सहिष्णुता के लिए निगरानी संस्थान (IMPACT-se) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है. रिपोर्ट के अनुसार अजरबैजान के स्कूली पाठ्यक्रम में यहूदियों और इजरायल के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को प्रमुखता दी गई है. इसके साथ ही होलोकॉस्ट के दौरान मारे गए 60 लाख यहूदियों के नरसंहार को औपचारिक रूप से मान्यता दी गई है. यह रिपोर्ट मध्य एशियाई देशों के स्कूली पाठ्यक्रमों की तीन-भाग वाली श्रृंखला का हिस्सा है. जिसमें उजबेकिस्तान और कजाकिस्तान की शिक्षा प्रणाली की भी जांच की गई है.

इजरायल-विरोधी सामग्री हटाई गई

अजरबैजान के स्कूली पाठ्यक्रम में 2024-25 के शैक्षणिक सत्र के लिए बड़ा बदलाव किया गया है. इसमें पहले मौजूद इजरायल-विरोधी पाठ्य सामग्री को हटा दिया गया है. यह परिवर्तन इस बात का संकेत है कि अजरबैजान अब एक संतुलित और निष्पक्ष दृष्टिकोण अपनाने की ओर अग्रसर है.

इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष पर संतुलित नजरिया

स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली पुस्तकों में इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष को अधिक संतुलित दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत किया गया है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अजरबैजान की पाठ्यपुस्तकों में धार्मिक कट्टरता या इस्लामवादी चरमपंथ के संकेत नहीं मिले हैं. इसके बजाय इन किताबों में धर्मनिरपेक्षता, विविधता और समावेश को बढ़ावा दिया गया है. हालांकि, यहूदियों के व्यापक ऐतिहासिक संदर्भों की कमी अभी भी महसूस की जा रही है जिसे सुधारने की जरूरत है.

स्कूलों में इजरायल की छवि में बड़ा बदलाव

IMPACT-se की स्टडी में अजरबैजान के राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की 53 पाठ्यपुस्तकों का मूल्यांकन किया गया. अध्ययन में पाया गया कि पहले इजरायल को आक्रामक और शांति को नकारने वाला देश बताया जाता था. लेकिन अब इसमें बदलाव किया गया है. नए पाठ्यक्रम में 1947 की संयुक्त राष्ट्र विभाजन योजना को शामिल किया गया है और बताया गया है कि संघर्ष की जड़ें अरब राष्ट्रों द्वारा इस योजना को अस्वीकार करने में हैं.

अरब देशों की आलोचना.. यहूदी धर्म को सम्मान

अजरबैजान के स्कूली पाठ्यक्रम में अब अरब देशों में भ्रष्टाचार और सैन्य विफलताओं की भी आलोचना की गई है. इसके अलावा किताबों में अधिक तटस्थ भाषा का उपयोग किया गया है और यहूदी धर्म समेत अन्य अल्पसंख्यक धर्मों को सम्मानजनक स्थान दिया गया है. यह भी दिखाया गया है कि यहूदी समुदाय राष्ट्र के सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने का एक अभिन्न हिस्सा हैं.

इजरायल और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया

अजरबैजान के इस फैसले का इजरायल ने खुले दिल से स्वागत किया है. यह कदम न केवल इजरायल-अजरबैजान संबंधों को मजबूत करेगा बल्कि अन्य मुस्लिम देशों को भी इसी दिशा में सोचने के लिए प्रेरित कर सकता है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी इस पहल को सकारात्मक संकेत के रूप में देखा है. अजरबैजान का यह फैसला मुस्लिम दुनिया में एक नई मिसाल कायम कर सकता है.

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